छछरौली में बंदरों आतंक बढ़ा

छछरौली में बंदरों आतंक बढ़ा
छछरौली में बंदरों आतंक बढ़ा

छछरौली में बंदरों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है, प्रशासन अब भी मौन!

18 जुलाई को 'अमृतधारा' में छपी खबर के बाद भी नहीं हुई कोई कार्रवाई, जनता में गहरा रोष

छछरौली अंजू प्रवेश कुमारी दैनिक अमृत धारा) – ऐतिहासिक कस्बा छछरौली इन दिनों एक नई और गंभीर समस्या से जूझ रहा है – बंदरों का बढ़ता आतंक। आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो चुका है। बंदर खुलेआम घरों की छतों, स्कूल परिसरों, दुकानों और सड़कों पर उत्पात मचा रहे हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस मुद्दे को लेकर 18 जुलाई को 'अमृतधारा' समाचार पत्र में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी, परंतु आज तक न कोई कार्यवाही हुई और न ही कोई ठोस योजना बनी।

बच्चों और बुज़ुर्गों पर खतरा मंडरा रहा है

स्थानीय लोगों का कहना है कि बंदरों ने उनके जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। महिलाएं और बुज़ुर्ग लोग दिन में अकेले बाहर निकलने से डरते हैं। कई बार बंदर बच्चों के हाथ से टिफिन और स्कूल बैग छीन लेते हैं। बुज़ुर्गों पर झपटा मारने की घटनाएं भी सामने आई हैं।

शहर के सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ाई का माहौल बिगड़ चुका है 

मुख्य बाजार में स्थित दुकानों पर बंदर खाद्य सामग्री और फलों को उठा ले जाते हैं। एक दुकानदार ने बताया कि उसे रोज़ाना नुकसान उठाना पड़ता है क्योंकि बंदर सामान बिखेर देते हैं और ग्राहकों को भी डराने लगते हैं।

"18 जुलाई की खबर से उम्मीद जगी थी कि अब कुछ हल निकलेगा, पर प्रशासन की चुप्पी समझ से बाहर है।"

यह सिर्फ असुविधा नहीं, एक गंभीर सुरक्षा और स्वास्थ्य का मामला है। बंदरों के काटने से रेबीज जैसी बीमारियों का खतरा बना रहता है।

छछरौली के निवासियों की मांग है कि प्रशासन तुरन्त एक विशेष अभियान चलाकर बंदरों को सुरक्षित स्थानों पर भेजे, और भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए स्थायी समाधान (जैसे बंदर पकड़ने वाली टीम, जागरूकता अभियान, और संपर्क हेल्पलाइन) तैयार किया जाए।

अब सवाल यह है: क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है? जब समस्या की जानकारी पहले ही मीडिया के माध्यम से सामने आ चुकी है, तो फिर इतनी लापरवाही क्यों?

जनता को अब जवाब चाहिए – सिर्फ आश्वासन नहीं, ठोस कार्रवाई।