सजा, सुनवाई, न्याय और टेक्नोलॉजी : जान लीजिए भारतीय न्याय संहिता की सारी जरूरी बातें

भारतीय न्याय संहिता में कई ऐसी चीजें जोड़ी गई हैं जो भरोसा दिलाती हैं कि न्याय के लिए अब ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किए जाने और समय-सीमा तय किए जाने के चलते यह कहा जा सकता है कि आने वाले समय में न सिर्फ कोर्ट का समय बचेगा बल्कि पुलिस को भी अपराध साबित करने में कम समय लगेगा। इसके साथ ही, पीड़ित को न्याय मिलेगा और आरोपी को भी अपना बचाव करने में आसानी होगी। भारत में 1 जुलाई 2024 से आपराधिक कानून बदल गए हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इन कानूनों के बारे में कहा है कि ये कानून दंड नहीं न्याय पर केंद्रित हैं। नए कानून में धाराओं को बदला गया है, साक्ष्यों के नियम बदले गए हैं, कोर्ट केस पूरे करने की समय-सीमा तय कर दी गई है। वीडियो रिकॉर्डिंग और फॉरेंसिक जैसी टेक्नोलॉजी को शामिल किया गया है ताकि न्याय त्वरित हो सके और कानूनी कार्यवाही में लगने वाला समय बचाया जा सके। नए कानूनों को लेकर पुलिस और कोर्ट के कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी दी गई है। गत 1 जुलाई से दर्ज किए जाने वाले केस इन नए कानूनों के तहत ही दर्ज किए जा रहे हैं और उन पर अदालतें भी उसी के मुताबिक फैसला करेंगी। न्याय केंद्रित हैं कानून सामुदायिक सजा : छोटे अपराधों में दी जाएगी भारतीय न्याय दर्शन के अनुरूप 5000 रुपये से कम की चोरी पर कम्युनिटी सर्विसेज का प्रावधान 6 अपराधों में कम्युनिटी सर्विसेज को समाहित किया गया है। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल विश्व की सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली बनानी है। 50 साल तक आने वाली सभी आधुनिक तकनीक इसमें समाहित हो सकेंगी। कम्प्यूटराइजेशन : पुलिस इन्वेस्टिगेशन से लेकर कोर्ट तक की प्रक्रिया जीरो एफआईआर, ई-एफआईआर, चार्जशीट... डिजिटल होगी। 90 दिन में मिलेगी पीड़ित को जानकारी 7 साल या अधिक की सजा वाले मामलों में फॉरेंसिक अनिवार्य साक्ष्यों की रिकार्डिंग- जांच-पड़ताल में साक्ष्यों की रिकार्डिंग को अनुमति वीडियोग्राफी अनिवार्य : पुलिस सर्च की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाएगी। ई-बयान : बलात्कार पीड़िता के लिए ई-बयान की व्यवस्था होगी। कोर्ट में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग प्रस्तुत की जाएगी। ई-पेशी : गवाहों, आरोपियों, विशेषज्ञों और पीड़ितों की इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पेशी होगी। तारीख-पर-तारीख होगी खत्म समय-सीमा निर्धारित : हमारा प्रयास रहेगा कि 3 साल में मिल जाये न्याय, तारीख पर तारीख से मिलेगी मुक्ति 35 सेक्शनों में टाइमलाइन जोड़ी गई। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शिकायत देने पर 3 दिन में एफआईआर दर्ज। यौन उत्पीड़न में जांच रिपोर्ट 7 दिन के भीतर भेजनी होगी पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय होंगे। घोषित अपराधियों के खिलाफ अनुपस्थिति की स्थिति में 90 दिनों के भीतर मुकदमा आपराधिक मामलों में मुकदमे की समाप्ति के 45 दिनों के अंदर निर्णय देना होगा। पुलिस की जवाबदेही में इजाफा सर्च और जब्ती में वीडियोग्राफी अनिवार्य। गिरफ्तार व्यक्तियों की सूचना देना अनिवार्य। 3 वर्ष से कम कारावास/60 वर्ष से अधिक उम्र में पुलिस अधिकारी की पूर्व अनुमति अनिवार्य। गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटों के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होगा। 20 से अधिक ऐसी धाराएं हैं जिनसे पुलिस की जवाबदेही सुनिश्चित होगी। पहली बार प्रारंभिक पूछताछ का प्रावधान किया गया। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध प्राथमिकता : महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराध (पहले खजाने की लूट थी) भारतीय न्याय संहिता में 'महिलाओं व बच्चों के प्रति अपराध' पर नया अध्याय महिलाओं व बच्चों के अपराध से संबंधित 35 धाराएं हैं जिनमें लगभग 13 नए प्रावधान है और बाकी में कुछ संशोधन। गैंगरेप : 20 साल की सजा/आजीवन कारावास। नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार : मौत की सजा/आजीवन कारावास झूठा वादा/पहचान छिपाकर यौन संबंध बनाना अब अपराध है। पीड़िता का बयान उसके आवास पर महिला अधिकारी के सामने ही रिकॉर्ड। पीड़िता के अभिभावक की उपस्थित में होगा बयान दर्ज। फॉरेंसिक को बढ़ावा फोरेंसिक अनिवार्य: 7 वर्ष या अधिक की सजा वाले सभी अपराध इन्वेस्टिगेशन में साइंटिफिक पद्धति को बढ़ावा कन्विक्शन रेट को 90 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य। सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में फोरेंसिक अनिवार्य राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर 5 वर्ष में तैयार होगा मैनपावर के लिए राज्यों में एफएसयू शुरू करना। फॉरेंसिक के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए जगह-जगह लैब बनाना। मॉब लिंचिंग : पहली बार मॉब लिंचिंग को परिभाषित किया गया। नस्ल/जाति/समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा आदि से प्रेरित हत्या/गंभीर चोट मॉब लिंचिंग 7 वर्ष की कैद का प्रावधान स्थायी विकलांगता - 10 वर्ष की सजा/आजीवन कारावास विक्टिम-सेंट्रिक कानूनों के 3 प्रमुख फीचर्स विक्टिम को अपनी बात रखने का मौका। इनफार्मेशन का अधिकार और नुकसान के लिए क्षतिपूर्ति का अधिकार। अन्य अहम बातें : जीरो एफआईआर दर्ज करने को किया संस्थागत। अब एफआईआर कहीं भी दर्ज कर सकते हैं। ⁠विक्टिम को एफआईआर की एक प्रति निःशुल्क प्राप्त करने का अधिकार। ⁠90 दिनों के भीतर जाँच में प्रगति की जानकारी। ⁠राजद्रोह को हटाना और 'देशद्रोह' की व्याख्या। गुलामी की सभी निशानियों का समाप्त करना। अंग्रेजों का राजद्रोह कानून राज्यों (देश) के लिए नहीं बल्कि शासन के लिए था। 'राजद्रोह' जड़ से समाप्त लेकिन देश विरोधी हरकतों के लिए कठोर सजा। भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ कार्य पर 7 साल तक या आजीवन कारावास।

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