डॉ. सलिल स्कैम में जुड़ रहा है एक और एक कारनामा, राजधानी में भी है इनका “प्लॉटनामा”

डॉ. सलिल स्कैम में जुड़ रहा है एक और एक कारनामा, राजधानी में भी है इनका “प्लॉटनामा”

डॉ. सलिल स्कैम में जुड़ रहा है एक और एक कारनामा, राजधानी में भी है इनका “प्लॉटनामा”

सरकारी कुर्सी से सीधा राजधानी के रियल एस्टेट तक, ज़मीन पर नहीं, अब हवाई घोटाले भी रजिस्ट्री में होंगे दर्ज!

➡️बृजेश उपाध्याय।
सुलतानपुर। एक सफेद वस्त्र पर किसी धब्बे से कम नहीं सुलतानपुर मेडिकल कॉलेज का बेलगाम प्राचार्य। बहुचर्चित राजकीय मेडिकल कॉलेज, सुलतानपुर के मनबढ़ प्राचार्य डॉ. सलील श्रीवास्तव अब मेडिकल शिक्षा से ज्यादा मकान- निर्माण और बेनामी वास्तुशास्त्र में पारंगत होते दिख रहे हैं। कल तक जो व्यक्ति कैंपस में चक्कर काटते मरीजों और छात्रों के भविष्य पर ध्यान दे रहा था, आज वह प्लॉट, फ्लैट और फार्महाउस की GPS मैपिंग में व्यस्त हो गया है — वो भी राजधानी तक!
                      सूत्रों के माध्यम से अब सामने आ रहा है कि राजधानी के पॉश कॉलोनियों में फ्लैटों और प्लॉटों की रजिस्ट्री सिर्फ जमीन पर ही नहीं, कूटनीति, कूटरचना और काले धन के आधार पर की गई है। और इस बार भी वही पुराना तरीका ! लगता है घोटालों का पारिवारिक पुजाविधान तैयार हो चुका है।
कहानी वहीं से जारी है… लेकिन नक्शा बदल गया है!
पिछली रिपोर्ट में हमने बताया था कि कैसे ज़मीन की रजिस्ट्री में पति का नाम गायब कर ससुर को 'लीगल स्टंट डबल' की तरह खड़ा कर दिया गया। अब ये तकनीक राजधानी में भी प्रयोग की गई है। सूत्र कहते हैं — “इस स्कीम का नाम ‘नाम में क्या रखा है?’ हो सकता है, क्योंकि असली खरीदार कोई और है, नाम कोई और।”
ओहदा बड़ा तो आय भी भारी!
प्राचार्य बनते ही परिवार की आय ऐसे उछली जैसे मेडिकल कॉलेज से ‘मनी-कॉलेज’ में ट्रांसफर हो गया हो! जहाँ पहले घर की आय का गणित जनपद के सामान्य चिकित्सक के रूप में..अल्ट्रासाउंड सेंटर, नर्सिंग होम और दावा के कारोबार से चलता था,अब गाड़ियों की लिस्ट लंबी वही अब ज़मीनों की रजिस्ट्री महीने में कई बार....?।
> "पद नहीं, जैसे कोई प्राइवेट लिमिटेड डायरेक्टरी मिली हो!"
राजधानी में कौन सा इलाका बनेग डॉ सलिल एन्क्लेव ?
खबर है कि यूपी की राजधानी के ***नगर, और आसपास के इलाके अब “सलिल एस्टेट” कहलाएंगे क्या ? जल्द ही जनता के सामने आएंगे दस्तावेज़ — और शायद “एक प्राचार्य की प्रॉपर्टी परिकथा” का नया चैप्टर भी।
जनता के जले पर नमक है– शासन की चुप्पी.!
क्या सुलतानपुर से राजधानी तक रियल एस्टेट घोटाले की चेन सिस्टम चल रही है ? क्या शासन की चुप्पी का मतलब है कि अब घोटाले थोक में बेचने का लाइसेंस मिल गया है ?
ये कुछ तीखे सवाल:
1. क्या BNS की धाराएं अब VIP को छूती ही नहीं ?
2. क्या रजिस्ट्री ऑफिस में अब सत्यापित नाम नहीं, 'सामाजिक संबंध' सत्यापित होते हैं ?
3. धरती के कथित भगवान अब मरीज नहीं, “मंडी” में निवेश कर रहे हैं अपना काला धन ?
जनता की चेतावनी – अगली रजिस्ट्री होगी विश्वास की!
जनता अब कह रही है: “घोटालों की ये फ़ाइल अब और नहीं! CBI, ED, या जो भी हो — बुलाओ, मगर इस कुर्सी को अब क्लीन करो!” अब यह भी देखना है कि जब लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में....!
                        अगली कड़ी: “जब रजिस्ट्री में नहीं मिला नाम, हमने ड्रोन उड़ाया — और फ्लैटों की छत से गिरा सत्य!” इसी तरह बने रहिए आगे के लिए हमारे साथ!