जीवन के कण-कण में,नवरसों का वास है । डॉ. रक्षा मेहता हैदराबाद, तेलंगाना
जीवन के कण-कण में,नवरसों का वास है । डॉ. रक्षा मेहता हैदराबाद, तेलंगाना

नवरस
जीवन के कण-कण में,
नवरसों का वास है ।
इन्हीं से तो हर पल, हर क्षण,
जीवन लगता कुछ खास है ।
“श्रृंगार” की झंकार से,
प्राण है और रास है ।
“हास्य” की गुदगुदाहट से,
ज़िंदगी में सहज उल्लास है ।
“करुण” के कारण ही तो,
अपनत्व का विश्वास है ।
“रौद्र” अपने अधिकारों के लिए,
कर्मभूमि पर डटे रहने का एहसास है ।
“वीर” रस अपनी अस्मिता को,
जीवंत रखने का एक प्रयास है ।
“भयानक” रस साँसों में,
भय के भाव का आवास है ।
“वीभत्स” रस परित्यक्त के प्रति,
नीरसता का चरम विकास है ।
“अद्भुत” रस मानो विचित्रता का,
वेतनरहित कोई दास है ।
“शांत” रस विपरीत परिस्थितियों में,
मानो मिला कोई वनवास है ।
इन नवरसों से ही तो,
जीवन में भरी नई श्वास है ।
यदि ये रस न हों तो जीवन,
निरा नीरस, सुस्त और उदास है ।
डॉ. रक्षा मेहता
हैदराबाद, तेलंगाना
7729879054