सुनो, बेजुबान की आवाज ‌‌‌इंसानियत मत भूल ए इंसान,,, राजेश कुमार 

सुनो, बेजुबान की आवाज ‌‌‌इंसानियत मत भूल ए इंसान,,, राजेश कुमार 

सुनो, बेजुबान की आवाज ‌‌‌इंसानियत मत भूल ए इंसान,,, राजेश कुमार 


अमृत धारा अम्बाला राजेश कुमार 
 अम्बाला समाज सेवक राजिंद्र सिंह मटेडी जट्टा और भारतीय अंबेडकर मिशन संगरूर पंजाब राजपुरा पटियाला से मीडिया प्रभारी राजेश कुमार ने जानकारी देते हुए कहा कि।कोई समय था कहा जाता था, कि बेजुबान जीवों को दान पुण्य करने से स्वर्ग मिलता है लेकिन आजकल के समय में दान पुण्य तो बड़ी दूर की बात है उनको अपनी जान भी इन बेदर्द इंसानों से बचानी मुश्किल पड़ रही है। जंगलों में आग लगती है बेजुबानों को पकड़ कर चिड़ियाघर में डालकर मनोरंजन का साधन बनाया जा रहा है इनकी भूख‌‌ प्यास को नजर अंदाज करके सिर्फ पैसे का एक साधन बनाया गया है कभी उनकी भावनाओं को उनकी मनोदशा को समझने की कोई कोशिश नहीं करता। काम ना करने पर इनको चाबुकों से मारा जाता है ।भूखा रखा जाता है ।अब गर्मियों के दिनों में इनकी भूख प्यास किसी के लिए कोई मायने नहीं रखती अगर किसी जंगल में आज भी लग जाती है तो इनको जान बचाना भी मुश्किल पड़ जाता है। पिछले दिनों में हैदराबाद के जंगल में  लगी आग ने सबके दिलों को दहला दिया कई जीव घर से बेघर हो गए ।कई जानवर जल के राख हो गये।उनकी चिल्लाहट उनका करहाना, उनकी बेजुबानी में मदद मांगनी ,कोई नहीं समझ सका, छोटे-छोटे जानवरों के बच्चे, पक्षियों के बच्चे जान बचाने के लिए चिल्ला रहे थे। जंगलों की लगातार कटाई की वजह से कई जानवरों को अपने अंग तक कटवाने पड़ जाते हैं उनकी इस दुख भरी दशा को भी कोई नहीं समझ सकता पर इंसानियत ख़ामोश है ।अब गर्मियों के दिन में भी कई बेजुबान पक्षी ,जानवर प्यास से मार रहे होते हैं लेकिन किसी भी इंसान में इतनी इंसानियत नहीं है कि वह किसी जानवर के लिए पानी का बंदोबस्त कर सके जो उनकी  प्यास बुझा सके। बस बात इतनी सी है कि पैसे कमाने की धुन ने इंसान की इंसानियत  नाश हो चुकी है वह पैसों की  धुन में सब कुछ भूल चुके हैं। पर कहीं - कहीं इंसानियत अब भी जिंदा है मरी  नहीं है कुछ लोग इस जहां में ऐसे भी हैं कि जो अब गर्मियों के दिनों में इन जीवो , बेजुबानों के लिए पानी का  इंतजाम करेंगे और सर्दियों में ठंड से बचाव के लिए  उत्तम इंतजाम करते हैं । हम सिर्फ इतनी ही विनती करते हैं कि इन बेजुबान पक्षियों और जानवरों में भी जान है और वह जान सबको प्यारी है इंसान ही नहीं जानवरों और पक्षी भी जीना चाहते हैं ।अंत में राजिंद्र सिंह मटेडी जट्टा ने कहा कि हम अपनी हैसियत के मुताबिक आने वाले दिनों में दिन रात एक करके अपनी सेवा निभायेंगे।