माथे की बिंदिया

बिंदी संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसकी उत्पत्ति बिन्दु शब्द से हुई है। बिन्दु शब्द का अर्थ होता है 'बूंद'। भारतीय महिलाएं सदियों से माथे पर बिंदी लगाती आई हैं। बिंदी सुहागिन महिला के सोलह शृंगार का एक अहम हिस्सा है और शास्त्रों में इसे बहुत ही जरूरी आभूषण की तरह बताया गया है। इसे विवाह के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। बहुत लोग बिंदी को फैशन का हिस्सा मानते हैं। जब महिलाएं खास मौकों के लिए तैयार होती हैं, तो बिंदी उनके लुक को पूरा करती है। भारत की हर महिला भले ही रोजाना बिंदी ना लगाती हो, लेकिन आपको उनके पास बिंदी का कम से कम एक पत्ता जरूर मिल जाएगा। योग के अनुसार सभी के शरीर में सात चक्र होते हैं, जो हमारे शरीर के प्रत्येक तत्व में संतुलन बनाए रखने में सहायता करते हैं। महिलाएं जिस जगह पर बिंदी लगाती हैं, उसे अजना चक्र, या तीसरा नेत्र चक्र कहते हैं। यह शरीर का छटा और सबसे शक्तिशाली चक्र माना गया है। इस जगह को अन्तर्ज्ञान और बुद्धि की आँख माना जाता है। इस पॉइंट को दबाने से आंतरिक ज्ञान बढ़ता है और मानसिक शांति महसूस होती है। हालांकि पुरुष बिंदी नहीं लगते हैं, किन्तु अजना चक्र पर रोज़ कुमकुम का तिलक लगा सकते हैं। बिंदी लगाने के फायदे: 1 सिर दर्द में राहत मिल सकती है। 2 त्वचा जवान रहती है। 3 स्मरण शक्ति अच्छी होती है। 4 आँखों की रोशनी बेहतर होती है। 5 तनाव कम होता है। 6 सुनने की क्षमता में सुधार होता है। लाल रंग का महत्व: ज्योतिष शस्त्र के अनुसार, पति पत्नी के वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए मंगल ग्रह का सही होना बहुत आवश्यक माना गया है। मंगल ग्रह का रंग भी लाल होता है,इसलिए विवाहित महिलाओं द्वारा लाल बिंदी को लगाना अत्यंत शुभ माना गया है। लाल रंग समृद्धि और प्रेम को भी दर्शाता है। इसीलिए ऐसी मान्यता है कि लाल बिंदी व्यवाहिक जीवन में प्रेम और समृद्धि को भी बढ़ाता है। लाल रंग कि चूड़ी, बिंदी और सिंदूर का हिन्दू धर्म में विशेष स्थान है। रिया अग्रवाल फ़रीदाबाद हरियाणा 882-641-8376

माथे की बिंदिया
Riya aggarwal. 882-641-8376