यमुनानगर में प्लास्टिक थैली हुई बैन

यमुनानगर में प्लास्टिक थैलों पर रोक सिर्फ़ कागज़ों में, बाज़ारों में बदस्तूर जारी उपयोग न जनता गंभीर, न प्रशासन सख़्त;

यमुनानगर( अंजू प्रवेश कुमारी दैनिक अमृत धारा)शहर में प्लास्टिक थैलों पर पूर्ण प्रतिबंध होने के बावजूद स्थानीय बाज़ारों और गलियों में उनका खुलेआम इस्तेमाल जारी है। दुकानदारों से लेकर ग्राहकों तक, सभी इसे लेकर बेपरवाह नज़र आ रहे हैं। प्लास्टिक बैन की घोषणा केवल सरकारी आदेशों तक सिमट कर रह गई है, ज़मीनी स्तर पर न तो प्रशासन की निगरानी दिखती है और न ही कोई जागरूकता अभियान।

हर दिन सैकड़ों प्लास्टिक थैलियां दुकानों से निकलकर सड़कों, नालियों और कचरे के ढेरों में पहुंच रही हैं। यह वही प्लास्टिक है जो सड़ता नहीं, ज़मीन को बंजर करता है, नालियों को जाम करता है और हमारी हवा को ज़हरीला बना देता है। लेकिन दुखद है कि न तो सरकार इस पर सख़्ती दिखा रही है और न ही लोग खुद को जागरूक मान रहे हैं।

शहर में कहीं भी नजर डालें, छोटे-बड़े दुकानदार प्लास्टिक की थैलियों में सामान थमा रहे हैं। ग्राहक भी बिना कुछ कहे उसे स्वीकार कर रहे हैं। न किसी को इस नुकसान का अहसास है और न कोई यह सोच रहा है कि यह नुकसान सरकार को नहीं, हम सभी को हो रहा है — खासकर हमारी आने वाली पीढ़ियों को।

पर्यावरणविद् चेतावनी दे रहे हैं कि यदि समय रहते लोग नहीं जागे तो यह प्लास्टिक हमारे खेत, पानी, जानवर और शरीर — सबको धीरे-धीरे निगल लेगा। कूड़े के ढेरों में पड़ी ये थैलियां जानवरों के पेट में जा रही हैं, जलने पर ज़हरीली हवा पैदा कर रही हैं और मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को खत्म कर रही हैं।

स्थानीय समाजसेवियों ने प्रशासन से अपील की है कि केवल जुर्माने की औपचारिकता नहीं, बल्कि गली-मोहल्लों, स्कूलों और बाज़ारों में ज़मीनी स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाएं। साथ ही, लोगों को भी खुद आगे बढ़कर यह संकल्प लेना होगा कि वे न प्लास्टिक का उपयोग करेंगे और न ही दूसरों को करने देंगे।

यह केवल एक पर्यावरण की लड़ाई नहीं है, यह अपने बच्चों का भविष्य बचाने की लड़ाई है। हमें आज ही सुधरना होगा, वरना कल बहुत देर हो जाएगी।