शत्रुजीत कपूर ने कैसे शक्तिशाली व्यापारिक समूह को काबू में किया और उनसे सात सौ करोड़ रुपए वसूले, जिसका दावा उन्होंने कोयले के बढ़े हुए बिल जमा करके किया था। हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत द्वारा हाल ही में प्रकाशित पुस्तक "WIRED for SUCCESS" के अंश, lकैसे एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने दो डिस्कॉम को बदल दिया, कहानी में एक सनसनीखेज मुंबई थ्रिलर के सभी तत्व हैं, जिसमें सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों की सांठगांठ, एक पुलिस अधिकारी का कर्तव्य पालन और सफलता के लिए स्रोत का महत्व है। कपूर को कंपनी के बढ़े हुए बिलों के बारे में एक ऐसे स्रोत से जानकारी मिली थी, जिसे उन्होंने अपनी पुस्तक में नहीं बताया है। बताना भी नहीं चाहिए lकहानी में एक सबक है कि यदि किसी अधिकारी के पास स्रोतों की पहचान की सुरक्षा करने की विश्वसनीयता है, तो वह बहुमूल्य जानकारी प्राप्त कर सकता है। अध्याय "बिजली खरीद की पेचीदा दुनिया" में, कपूर ने विस्तार से बताया है कि कैसे माफिया उनके ही विभाग की.काले भेड़ों के साथ मिलीभगत करके काम कर रहा था। कपूर लिखते हैं, "स्रोत द्वारा प्रदान की गई जानकारी से लैस होकर उन्होंने जानकारी की प्रामाणिकता रेलवे और सीबीआई में अपने स्वयं के संपर्कों से जांच की थी जिन्होंने न केवल सूचना की प्रामाणिकता की जांच करने में उनकी मदद की, बल्कि रैकेट की अतिरिक्त जानकारी प्राप्त करने में भी उनकी मदद की। निजी कंपनी हरियाणा के लिए कोयले को महाराष्ट्र और राजस्थान में अपने संयंत्रों में भेज रही थी। कहने की जरूरत नहीं कि प्रभावशाली निजी कंपनी ने फुलाए हुए बिलों के आरोप को नकारने के लिए अपने सभी संसाधनों का इस्तेमाल किया, लेकिन जैसा कि कपूर लिखते हैं कि होमवर्क और दस्तावेजी सबूतों द्वारा समर्थित तथ्यों की मदद से उन्होंने अपना मामला साबित कर दिया और निजी उत्पादन कंपनी की टीम ने अंततः हार मान ली और एक समझौते पर सहमत हो गई। निजी कंपनी ने पहले आईएएस अधिकारियों, टेक्नोक्रेट्स और यहां तक कि सेना के अधिकारियों के साथ काम किया था, यह पहली बार था कि वे एक आईपीएस अधिकारी के साथ काम कर रहे थे। इस घटना ने उनके दिमाग में आईपीएस अधिकारियों की एक बड़ी छवि बना दी। अध्याय का समापन करते हुए कपूर लिखते हैं कि इस प्रकरण ने उन्हें बिजली खरीद की गंदी दुनिया से सीधे परिचित कराया और उनकी कार्यशैली में महत्वपूर्ण बदलाव को बढ़ावा दिया। दुमछला lमेरे चंडीगढ़ स्थित सहयोगियों से उचित क्षमा याचना के साथ कि इस रैकेट को उजागर करना उनका काम था जिसे श्री कपूर ने उजागर किया।अगर उनकी सोर्स की पहचान छुपाने की साख है तो उन्हे दस्तावेज के साथ सारी जानकारी मिल सकती थी जैसा कि कपूर साहिब को मिली lऐसा में खोजी पत्रकारिता क्यों और कैसे के लेखक और अपने हरियाणा में खोजी पत्रकार के रूप में पचास साल के कार्यकाल के अनुभव के आधार पर कह सकता हूं l
S k Girdhar Editor, Dainik Amritdhara Newspaper, Karnal Haryana.
M A Hindi, M A English M Phill from kurukshetra University
Birth place Village Siwan Dist KAITHAL
Retired lecture from education department, Haryana government
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