जगाधरी में चढूनी की जिला स्तरीय बैठक

जगाधरी में चढूनी की जिला स्तरीय बैठक

जगाधरी में बीकेयू (चढूनी) की जिला स्तरीय बैठक, फसल बीमा योजना में बदलाव की उठी जोरदार मांग

जगाधरी, संवाददाता।(अंजू प्रवेश कुमारी दैनिक अमृत धारा)भारतीय किसान यूनियन (चढूनी समूह) की जिला स्तरीय बैठक रविवार को जगाधरी की नई अनाज मंडी में आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता जिला प्रधान ने की। इसमें जिले भर से सैकड़ों किसान शामिल हुए। किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में हो रही अनियमितताओं और जबरन प्रीमियम कटौती पर खुलकर नाराज़गी जताई।

बिना सहमति के प्रीमियम कटौती पर रोष

बैठक में कई किसानों ने बताया कि उनके बैंक खातों से फसल बीमा योजना के तहत प्रीमियम की रकम स्वतः काट ली गई, जबकि उन्होंने योजना में शामिल होने के लिए कोई लिखित या मौखिक सहमति नहीं दी थी। किसानों का कहना था कि इस जबरन कटौती से न केवल उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ है, बल्कि यह उनकी स्वतंत्रता और अधिकारों का भी हनन है।

Opt-out प्रक्रिया को लेकर असंतोष

किसानों ने बैठक में जोर देकर कहा कि फसल बीमा योजना से बाहर निकलने (Opt-out) की मौजूदा प्रक्रिया बेहद जटिल और अस्पष्ट है। अधिकांश किसान इस प्रक्रिया से अनजान हैं और उन्हें यह समझने में कठिनाई होती है कि योजना से बाहर कैसे निकला जाए। किसानों ने मांग की कि इस प्रक्रिया को पारदर्शी, सरल और किसानों की भाषा में समझने योग्य बनाया जाए। इसके लिए सरकार को ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों तरीकों से विकल्प उपलब्ध कराने चाहिए।

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का उद्देश्य किसानों को प्राकृतिक आपदाओं और फसल नुकसान से बचाव देना है, लेकिन वर्तमान में यह योजना बीमा कंपनियों के मुनाफे का साधन बन गई है। कई बार किसानों को समय पर मुआवजा नहीं मिलता और बीमा राशि भी वास्तविक नुकसान से बहुत कम होती है। किसानों का मानना है कि जब तक योजना में किसानों की राय और सहमति को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक इसका वास्तविक लाभ किसानों को नहीं मिल पाएगा।

बीकेयू (चढूनी) के जिला पदाधिकारियों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि अगर सरकार ने किसानों की मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो संगठन जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक व्यापक आंदोलन करेगा। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो किसान जिला मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना देंगे और बीमा योजना में हो रहे कथित शोषण के खिलाफ एकजुट होकर आवाज बुलंद करेंगे।

बैठक के अंत में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि सरकार को तुरंत किसानों से संवाद स्थापित कर उनकी राय के अनुसार फसल बीमा योजना में सुधार करने चाहिए। किसानों ने मांग की कि प्रीमियम कटौती से पहले किसान की स्पष्ट सहमति ली जाए और मुआवजा देने की प्रक्रिया को तेज़ एवं पारदर्शी बनाया जाए।