बैसाखी सजृना दिवस की लख-लख बधाईया-सरदार पतविंदर सिंह

बैसाखी सजृना दिवस की लख-लख बधाईया-सरदार पतविंदर सिंह

बैसाखी सजृना दिवस की लख-लख बधाईया-सरदार पतविंदर सिंह

भारतीय संस्कृति सभ्यता का ऐतिहासिक दिन।

प्रयागराज/भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा काशी क्षेत्र,क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने बैसाखी का पर्व हमें आत्मसंयम और मिलन का संदेश भी देता है बैसाख के महीने में प्रकृति निखर उठती है फूलों की कली-कली मुस्कुराने लगती है।
क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने आगे कहा कि बैसाखी केवल किसानों का पर्व नहीं है यह वह ऐतिहासिक दिन है,जब दसवे गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी बैसाखी का ही पावन दिन था,जब दशम गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में एक विशाल सभा का आयोजन किया था उन्होंने वहां उपस्थित संगत को संबोधित करते हुए आहावन किया 'जो भी मुझे से अपनी अटूट भक्ति,और पूर्ण समर्पण को सिद्ध करना चाहता है वह अपना शीश अर्पित करें 'हजारों की उस सभा में सन्नाटा छा गया उस समय पर पांच वीर आगे आए और उन्होंने पूर्ण निष्ठा से कहा 'हम अपने प्राण आपको समर्पित करते हैं' यही पांच सिह है आगे चलकर "पंच प्यारे" कहलाए और खालसा पंथ की नीव पड़ी यही पंथ साहस,बलिदान और धर्म रक्षा का प्रतीक बना।
क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने आगे कहा कि यह दिन हमें अपने भीतर झांकने का अवसर देता है कि हम केवल शरीर से नहीं बल्कि मन और आत्मा से भी सशक्त बने,निर्भीक,कर्तव्य निष्ठा और धर्म के मार्ग पर अडिग रहने वाले बने ।
हम देखें कि कहीं हमारे मन में कोई अशुद्धियां तो नहीं है यदि है तो उन्हें सत्य,ज्ञान,चिंतन,ध्यानमय दृष्टिकोण,गुरुओं एवं शास्त्रों द्वारा प्रदत्र दिव्य ज्ञान से दूर करें।
क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने अन्त कहा कि यह दिन हमें स्मरण कराता है कि जीवन कठिन हो सकता है,जीवन चुनौतियां देता है जीवन इन्हीं कठिन परिस्थितियों से जूझने और उसका समाधान निकालने के लिए बुद्धिमत्ता और ज्ञान आवश्यक है। ऐसी प्रार्थना है कि यह वैसाखी हम सबको वह प्रदान करें,जिसकी हमें वास्तव में आवश्यकता है शांति,ज्ञान और आत्मबोध।